Menu
blogid : 8326 postid : 33

साहित्य प्रेमियों के लिए पराग कण है ..”कुछ भी उल्लेखनीय नहीं”

ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे
ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे
  • 29 Posts
  • 23 Comments

साहित्य प्रेमियों के लिए पराग कण है ..”कुछ भी उल्लेखनीय नहीं”

कुछ भी उल्लेखनीय नहीं के उद्धरण जो शायद आपको जरूर पसन्द आयेगा।

”अपने समय, परिवेश, देश और भोगे जा रहे समय पर कोई तटस्थ कैसे रह सकता है..बहुत से दुःख जो खुद नहीं भोगे गये, उन्हें किसी और ने भोगा होगा, संकट जो मुझ पर नहीं आए, किसी और पर आए होंगे। मौतें, विभीषिकाएं, गरीबी, बेरोजगारी जैसे दुःखों से मेरा नहीं पर तमाम लोगों से सामना होता है। अब सवाल यह उठता है कि दूसरों के दर्द अपने कब लगने लगते हैं….?..दूसरों के लिए आवाज़ देने में सुख क्यों आने लगते हैं….?.मेरे लिखे हुए मैं, पूरी विनम्रता के साथ सही परदुःखकारता मौजूद है”-संजय द्विवेदी

-उपरोक्त पुस्तक ”कुछ भी उल्लेखनीय नहीं ” की भूमिका में श्री ‘संजय द्विवेदी’ जी द्वारा लिखे गए भूमिका के कुछ अंश । मित्रों वास्तव में इस पुस्तक में द्विवेदी जी ने समाज के हर वर्ग के उस दर्द और कराह को लोगों के सामने रखा है जो तथाकथित उन्नतिशील भारत के असलियत को बयां करती है। मुझे विश्वास है कि आप सभी सुहृद जनों को अवश्य पसन्द आयेगा। भारत सहित अन्य देशों में उम्दा साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमीयों के हर उस अनछुए पहलुओं एवं मर्मस्पर्शी वेदना के मर्म स्थान को अमृतमय और ज्ञान की गर्माहट से तप्त भूमि की वर्षाऋतु मे सोंधापन की सोंधी सुगन्ध भ्रमरों तितलियों के लिए पराग कण का प्राशन करना चाहते हैं, उनके इन सभी चाहों को पूरी करती यह संजय जी की कृती कुछ भी उल्लेखनीय नहीं के लिए उनको सहृदय धन्यवाद।

– ज्योतिषाचार्य पं.विनोद चौबे, सम्पादक ”ज्योतिष का सूर्य” राष्ट्रीय मासिक पत्रिका http://ptvinodchoubey.blogspot.in/2012/03/blog-post_15.html

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply